बृजेश सिंह
बलिया। विधानसभा चुनाव में सीटों पर पार्टियों द्वारा उम्मीदवार घोषित किये जाने के बाद भी उठापटक जारी है। किसी पार्टी का घोषित प्रत्याशी ही दूसरे दल में चला जा रहा है तो किसी को टिकट न मिलने पर दूसरे दल की ओर रुख करते नजर आ रहा है। बीजेपी द्वारा जिले की चार सीटों पर प्रत्याशी घोषित किये जाने के बाद बेल्थरारोड, रसड़ा और सिकंदरपुर में टिकट के दावेदारों और उनके समर्थकों में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। राजनीतिक सूत्रों की माने तो बेल्थरारोड और सिकंदरपुर विधानसभाओं से बीजेपी के दो नेता अब बसपा से टिकट की कतार में है और जल्द ही वह बसपा के प्रत्याशी के तौर पर नजर आने वाले है। अगर ऐसा हुआ तो दोनों विधानसभाओं में दो पार्टियों के बीच दिखने वाले आमने सामने की लड़ाई त्रिकोणीय बन जायेगी। जो सपा और भाजपा प्रत्याशियों दोनों के लिए सिरदर्द होगी।
बता दे कि भारतीय जनता पार्टी ने शुक्रवार को प्रदेश के 91 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित किये। जिसमें बलिया जिले के फेफना से उपेन्द्र तिवारी व सिकन्दरपुर से संजय यादव पर पार्टी ने पुनः विश्वास जताया है। बेल्थरारोड से धनन्जय कन्नौजिया का टिकट काटते हुए बसपा से भाजपा में आये छठ्ठू राम पर तो पूर्व विधायक रामएकबाल सिंह के बीजेपी छोड़ने से रिक्त रसड़ा पर बसपा सपा कांग्रेस की सवारी कर चुके पूर्व सांसद बब्बन राजभर पर पार्टी ने दांव खेला है। फेफना सीट को छोड़ दे तो बाकी के तीन सीटों पर उठापटक का अंदेशा पहले से ही था सो अन्य दावेदारों ने पार्टी से टिकट लेकर चुनावी रण जितने की तैयारी शुरु कर दी थी। इसके लिए अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों में अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिए थे। लेकिन पार्टी के हाईकमान के आगे किसकी चलती है जो इनकी चले। किसी दूसरे को टिकट मिला देख ये अंदर ही अंदर घुटन महसूस कर रहे है।
राजनीतिक सूत्रों की माने तो सिकन्दरपुर विधानसभा के बीजेपी के एक कद्दावर नेता इस बार भी टिकट न मिलने से आहत है और वो बसपा की तरफ रुख कर चुके है। वही हाल बेल्थरारोड विधानसभा का भी है जहां टिकट की दावेदारी में लगे नेताजी बसपा से टिकट की दौड़ में शमिल हो चुके है। अगर इनकी रणनीति कारगर हुई और ये दोनों नेता अपने अपने विधानसभा से बसपा के प्रत्याशी बनकर चुनाव के मैदान में कूद पड़ते हैं तो निश्चय ही लड़ाई त्रिकोणीय हो जाएगी। इसमें कोई दो राय नहीं कि इन दोनों का चुनाव लड़ना सपा और भाजपा दोनों के लिए नुकसानदायक होगा। क्योंकि बेल्थरारोड में छट्ठू राम को टिकट मिलने से नाराज कार्यकर्ताओं के एक पक्ष का विरोध में मतदान करने का अनुमान लगाया जा रहा है तो वहीं सिकन्दरपुर के नेताजी का एक विशेष जनाधार चुनावी समीकरण बदलने के लिए काफी है। अब तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि दोनों विधानसभाओं की कहानी कौन सा मोड़ लेने वाली है।