फसल अवशेष प्रबंधन के साथ ही फसल अवशेष न जलाने को लेकर शासन की ओर से निर्देश दिए गए हैं। इसकी निगरानी के लिए राजस्व, ग्राम्य विकास और कृषि विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों की संयुक्त टीम गठित की गई है। किसानों को पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीरता बरतने के लिए कहा गया है। वहीं अब शासन के निर्देश पर गांव व जिला स्तर पर पर्यावरण संरक्षण अभियान चलाया जाएगा।
इसके अंतर्गत न्याय पंचायत स्तर पर जन जागरूकता गोष्ठियां आयोजित करने के साथ ही प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं। अब किसानों को एक ट्राली पराली देने पर एक ट्राली गोबर की खाद गो आश्रय केंद्रों के माध्यम से उपलब्ध कराएगा। जिला कृषि अधिकारी विकेश कुमार ने बताया कि किसान धान की कटाई के बाद खेत में पड़े पराली में सिंचाई कर उसी दौरान 25 किलो यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर दें। इससे खेत में पड़ा पराली सड़ कर खाद बन जाएगा। इससे खेत में गेहूं की बोआई करने पर प्रति एकड़ 1.5 से 2 कुंतल उपज में बढ़ोतरी होगी।