याचिका में तर्क दिया गया था कि 22 नवंबर 2019 की सीनियरिटी लिस्ट केवल सिविल पुलिस इंस्पेक्टर को लेकर बनाई गई थी। जबकि पीएसी में उनके समकक्ष को शामिल कर एक ज्वॉइंट सीनियरिटी लिस्ट बनाई जानी चाहिए थी। याचिका में कहा गया था कि 22 नवंबर 2019 की सीनियरिटी लिस्ट में सिर्फ सिविल पुलिस के इंस्पेक्टर्स को शामिल किया गया है, लिहाजा वह लिस्ट अवैध है।
कोर्ट ने याची के इस कथन को तर्कसंगत माना और 22 नवंबर 2019 की सीनियरिटी लिस्ट खारिज करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि एक महीने के अंदर सिविल पुलिस और पीएसी में सिविल पुलिस के इंस्पेक्टर और पीएसी में उनके समकक्ष की एक ज्वॉइंट सीनियरिटी लिस्ट बनाकर प्रमोशन किए जाएं। याची ने याचिका में दो डिप्टी एसपी को भी पक्षकार बनाया था, जिन्हें इंस्पेक्टर से प्रमोट कर डिप्टी एसपी बनाया गया था। फिलहाल कोर्ट ने उन दो डिप्टी एसपी को रिवर्ट करने का आदेश नहीं दिया है. इस फैसले से यूपी में इंस्पेक्टर्स के प्रमोशन को लेकर नई चर्चा शुरू हो गई है।