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घाघरा के तटवर्ती इलाकों में धान की फसल के साथ पशुओं के चारे पर भी संकट, सुधि लेने वाला कोई नहीं

 

अभयेश मिश्रा

बिल्थरारोड । घाघरा नदी के जलस्तर  में लगातार बृद्धि होने और रौद्र रूप धारण करने से तटवर्ती वाशिंदे बाढ़ की आशंका से सहमे हुए है। अभी भी हालात यह है कि घाघरा के पानी के तटवर्ती गावों में पहुँचने से धान की फसल बर्बाद होने के साथ ही पशुओं के चारा के लाले पड़ गए है।  इसके बाद भी जनप्रतिनिधियों या प्रशासनिक अमले द्वारा उनकी सुध नहीं ली जा रही है। 

    इधर कोईली मुहान ताल का पम्प कैनाल के चालू न होने से भी ताल के पानी से सैकड़ो एकड़ धान की फसल बर्बाद हो गयी है। अधिकारी और जनप्रतिनिधि पम्प कैनाल को चालू कराने के प्रति भी रुचि नही ले रहा है। नदी के उतार चढ़ाव और जिम्मेदारों की उदासीनता से तटवर्ती वाशिंदों को डर है कि कहीं 1998 की विभीषिका का सामना न करना पड़े।

   केंद्रीय जल आयोग के अनुसार रविवार को  64.700 मीटर दर्ज किया गया जो खतरे के निशान 64. 010 से 69 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। नदी का जलस्तर खतरे के निशान से उपर हो जाने से तटवर्ती लोगों को ये डर सता रहा है कि  कही 1998 में आयी भयानक बाढ़ की पुनरावृत्ति न हो जाय। घाघरा नदी का पानी तटवर्ती क्षेत्रों के कृषि योग्य भूमि को निगलने के साथ ही तटवर्ती वाशिन्दों के आशियाने तक पहुचने लगा है। रविवार को घाघरा के बढ़ते जलस्तर को देख तटवर्ती लोगों में भय व्याप्त हो गया, वहीं नदी के उतार-चढ़ाव को लेकर लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें उभरने लगी हैं।

     घाघरा नदी का जलस्तर हाहालाला से लगायत चैनपुर  गुलौरा, खैरा, मधुबनी, इन्दौली, अतरौल, तुर्तीपार, मुजौना, सहियां, बेल्थरा बाजार, हल्दी रामपुर तक नदी का पानी बढ़ने लगा है। नदी ने कई स्थानों पर कृषि योग्य भूमि को निशाना बनाया है। पानी बढ़ने से हाहानाला, तुर्तीपार, हल्दिरामपुर के रेग्युलेटरों पर पानी का दबाव बढ़ गया है। बाढ़ का पानी तटवर्ती क्षेत्रों के रिहायशी इलाकों तक पहुच गया है,जिससे आमजन का जीवन अस्तव्यस्त हो गया है। 

नदी का पानी बलिया-सोनौली मार्ग के किनारे बसे तुर्तीपार गांव, चैनपुर गुलौरा के टीएस बंधा तक पानी पहुच गया है। नदी  और कोईली मोहान ताल के पानी से  चन्दाडीह, महेन्दुआ, चैनपुर, धरहरा, तेलमा, शाहपुर, पिपरौली बड़ागांव के किसानों का हजारों एकड़ धान की फसल  बर्बाद हो गयी है।  जिससे किसानों के घर का लगाया गया पैसा भी बर्बाद हो गया है। अभी तक प्रशासन का कोई भी कर्मचारी और अधिकारी इन गांवों के किसानों की सुधि नही ले रहा है। प्रशासन और जनप्रतिनिधि कुम्भकर्णी निद्रा में सोया हुआ है।

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