उत्तर प्रदेश

तहसीलों से 25 फीसदी आवेदनों को निरस्त करने की वजह कहीं कमीशनखोरी तो नहीं….

कुमार सत्यम 

बलिया। तमाम प्रयासों के बावजूद तहसीलों से प्रमाण पत्र जारी करने में मनमानी जारी है। खासकर छात्रों के छात्रवृत्ति के समय यह धांधली तेज हो जाती है। सदर तहसील में आवेदनों को मनमाने तरीके से रिजेक्ट कर दिया जाता है। इतना ही नहीं दलालों को सुविधा देने के लिए कुछ लेखपालों की आईडी भी तहसील कर्मी रखते हैं जिससे खेल किया जाता है। लेखपाल भी सुविधा शुल्क नहीं मिलने पर आवेदनों को रिजेक्ट कर देते हैं। पूर्व में भी इस तरह का मामला सामने आ चुका है, लेकिन इस पर लगाम नहीं लग सका है।

    नौ साल पहले वर्ष 2012 में सरकार ने आठ विभागों की 26 सेवाओं को ऑनलाइन करते हुए ग्रामीणों को घर बैठे सुविधाएं देने की व्यवस्था की। करीब सात साल पहले जिले में ई-डिस्ट्रिक्ट योजना लागू हुई और सभी सेवाओं को इसी के माध्यम से देने की व्यवस्था की गई। इसके तहत किसी भी आवेदन को अधिकतम एक सप्ताह के अंदर और विशेष परिस्थितयों में जांच करने की दशा में अधिकतम 15 दिनों में निस्तारित करने का प्रावधान किया गया। लेकिन यह नियम केवल कागजों तक ही सीमित रह गए और तहसीलों में आवेदनों के निस्तारण में मनमानी बदस्तूर जारी है। बताया जाता है कि प्रमाण पत्रों के जारी करने में सुविधा शुल्क आड़े आती है और इसको लेकर आवेदनों को लटकाने या रिजेक्ट करने का खेल संबंधित लेखपालों की ओर से किया जाता है। खासकर शहरी क्षेत्रों में राजस्वकर्मियों की खूब मनमानी है। बतौर उदाहरण नगर के बेदुआ निवासी संजना कुमारी ने आय, जाति व निवास के लिए 27 सितंबर को आवेदन किया जिसे तीन अक्तूबर को ‌रिजेक्ट कर दिया गया। इसी तरह गड़हा मोहल्ला निवासी अंजली ने आय प्रमाण के लिए 29 सितंबर को आवेदन किया लेकिन तीन अक्तूबर को आवेदन रिजेक्ट कर दिया गया। इसके अलावा आवेदनों को कई दिनों तक तहसील में ही लटकाए रख दिया जाता है।

हथकंडे अपना कर वर्षों से शहर में जमे हैं कई लेखपाल

बलिया। नगर में लेखपाल पिछले कई वर्षों से जमे हैं। बताया जाता है कई लेखपाल जब ट्रांसफर का समय आता है कि तो चुपके से म्यूचुअल कर अपना क्षेत्र बदल देते हैं और इस तरह अपने को फिर अगले तीन वर्ष तक नगर में सुरक्षित कर लेते हैं। यह सारा खेल अधिकारियों की मिलीभगत से होता है और वह शहर के कार्यों में मनमानी करते हैं।

सदर तहसील के एक सप्ताह के आंकड़े

आय के आवेदन-543, जारी-240, रिजेक्ट-203,लंबित-100

जाति के आवेदन-314, जारी-109, रिजेक्ट-75, लंबित-130

निवास के आवेदन-211, जारी-130, रिजेक्ट-11, लंबित-81

आवेदनो को बिना जांच के रिजेक्ट करने का प्रावधान नहीं है। प्रमाण पत्रों के निस्तारण को बाबू को जिम्मेदारी दी गई है। इसको लेकर सभी लेखपालों को पूर्व में भी हिदायत दी जा चुकी है। इस मामले की जांच कर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

सदानंद सरोज, तहसीलदार, बलिया

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