दिग्विजय सिंह
बलिया। बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और पूर्व विधायक रामएकबाल सिंह ने अपनी पार्टी को अलविदा कह दिया। उन्होंने आज अखिलेश यादव की नीतियों में विश्वास जताते हुए सपा ज्वाइन कर ली है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने लखनऊ में उन्हें सपा की सदस्यता ग्रहण करायी। इधर कुछ दिनों से श्री सिंह अपनी ही सरकार के सिस्टम पर लगातार सवाल खड़ा कर रहे थे। चाहे बेरोजगारी हो, लखीमपुर खीरी कांड हो या फिर महंगायी की मार। उन्होंने कृषि कानूनों पर केंद्र की मोदी सरकार को घेरते हुए कहा था कि ये कानून वापस लेना चाहिए. अगर किसानों के हित से बारे में सोचना है तो बेहतर है कि सरकार किसानों से सहमति लेकर नया किसान बिल ले आये। उन्होंने कहा था कि सरकार को किसानों के खून से नहाने की आदत बन्द कर देनी चाहिए। इन सब मुद्दों पर अपनी ही सरकार को लगातार घेर रहे थे।
बता दे कि राम एकबाल सिंह का नाम पूर्वांचल के फायर ब्रांड नेताओं में शुमार है। बीएचयू की छात्र राजनीति में मजे और राजनारायण के सानिध्य मे ककहरा सीखने वाले श्री सिंह का पूर्वांचल में एक अलग ही रुतबा है। ओजस्वी वक्ता के बल पर लोगों की भीड़ जुटाने में इन्हें महारत हासिल है। अपने शुभचिंतकों के लिए कदम से कदम मिलाकर चलने की सोच ही इनको औरों से अलग रखे हुई है। वर्तमान में विधायक न होने के बावजूद भी अपनी फरियाद लेकर पहुँचने वाले लोगों की कतार हमेशा दिखायी पड़ती थी। बसपा सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के सरकार की चूल्हे हिलाने के लिए इन्होंने अपने दलित कार्यकर्ता के लिए गुरगुजपुर से आंदोलन की नींव डाली थी और कुछ ही दिनों बाद बसपा की सरकार धराशायी हो गयी। अपने समर्थकों के साथ हो रहे अन्याय के लिए नगरा थाने का 2004 में घेराव आज भी बहुचर्चित है। जिसमे दो कार्यकर्ता शहीद और चार दर्जन से ऊपर जख्मी हुए । इस मामले में जेल भी गए । आज भी यह मुकदमा विचाराधीन है। अपनी ही सरकार में सी एम योगी अपने मुकदमे वापस ले लिए वहीं कार्यकर्ताओ के लिए लड़ने वाले श्री सिंह का मुकदमा वापस नहीं लिए ,जो कि जग जाहिर है कि कार्यकर्ताओं की मौत पुलिस की गोली से हुई थी । अपनी ही सरकार में मुकदमा वापस न होना श्री सिंह को भीतर ही भीतर झकझोरता था ।क्योंकि जेल में बन्द के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायमसिंह ने मुकदमा वापसी की बात कही थी लेकिन श्री सिंह ने ही इनकार कर दिया था ।भरोसा था कि अपनी सरकार में न्याय मिल जाएगा ,किन्तु भरोसे पर योगी जी खरे नहीं उतरे ।कारण यह भी हो सकता है कि श्री सिंह राजनाथ सिंह के करीबी माने जाते हैं ।