अधिकारी ने यह कहा कि ‘केवल उन्हीं पुलिस कर्मियों को अन्य जनपदों में ट्रांसफर किए जाने की संभावना है, जिनके खिलाफ कोई जांच या शिकायत लंबित है या पूर्व में चुनाव ड्यूटी के समय शिकायतें रही हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि स्क्रीनिंग प्रक्रिया में संशोधन पर चर्चा इसलिए की जा रही है क्योंकि प्राथमिक स्क्रीनिंग ने सुझाया है कि यदि मौजूदा मानदंड को लागू करते है तो हर जिले में लगभग 90 प्रतिशत पुलिस कर्मी न्यू होंगे। इससे नियमित पुलिसिंग के साथ-साथ चुनाव प्रक्रिया में बड़ी समस्या हो सकती है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले राज्य सरकार ने विभिन्न जिलों में तैनात एएसपी रैंक के अधिकारियों से लेकर सब- इंस्पेक्टर तक की जांच के लिए दो समितियां गठित की थीं। अतिरिक्त महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था प्रशांत कुमार की अध्यक्षता वाली एक समिति, जबकि दो अन्य सदस्य निरीक्षकों और एसआई की स्क्रीनिंग का कार्य करेंगे। इस स्क्रीनिंग कमेटी का उद्देश्य उन पुलिस कर्मियों की सूची बनाना है जो एक ही जिले में तीन या अधिक वर्षों से तैनात हैं और साथ ही वे जिनके खिलाफ पूछताछ और शिकायतें लंबित है। इसके अलावा महानिदेशक खुफिया डीएस चौहान की अध्यक्षता वाली एक तीन सदस्यीय स्क्रीनिंग कमेटी इसी तर्ज पर एएसपी और पुलिस उपाधीक्षकों की स्क्रीनिंग करेगी।