राम रहीम फाइल फोटो |
न्यूज डेस्क शब्दभेदी। बहुचर्चित रणजीत सिंह हत्याकांड मामले में डेरामुखी गुरमीत राम रहीम सिंह समेत पांचों दोषियों को पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने सोमवार को यह फैसला सुनाते हुए राम रहीम पर 31 लाख रुपये व बाकी अन्य चार दोषियों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की आधी राशि पीड़ित परिवार को दी जाएगी। सुनवाई के दौरान धारा-144 लागू रही। कोर्ट परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम कियर गए थे। 17 नाकों समेत शहर में कुल सात सौ जवान तैनात रहे। सीबीआई कोर्ट परिसर और चारों प्रवेशद्वार पर आईटीबीपी की चार टुकड़ियां तैनात थीं।
रणजीत सिंह हत्याकांड के मुख्य दोषी डेरामुखी गुरमीत राम रहीम को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया। जबकि अन्य चार दोषियों कृष्ण कुमार, अवतार, जसवीर और सबदिल को पुलिस ने कड़ी सुरक्षा में कोर्ट में प्रत्यक्ष रूप से पेश किया।
कोर्ट परिसर में सुरक्षा में तैनात जवान |
क्या है रणजीत सिंह हत्याकांड मामला
कुरुक्षेत्र के रहने वाले रणजीत सिंह की 10 जुलाई 2002 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। रणजीत सिंह डेरा सच्चा सौदा का मैनेजर था। राम रहीम इसी डेरे का प्रमुख है। डेरा प्रबंधन को शक था कि रणजीत सिंह ने साध्वी यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी अपनी बहन से ही लिखवाई। बस इसी शक में उसकी हत्या कर दी गई।
रणजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी। हाईकोर्ट ने बेटे के पक्ष में फैसला सुनाकर मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई ने राम रहीम समेत पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।
रणजीत सिंह का बेटा जगसीर सिंह कोर्ट परिसर में |
2007 में कोर्ट ने आरोपियों पर चार्ज फ्रेम किए थे। हालांकि, शुरूआत में इस मामले में डेरामुखी का नाम नहीं था लेकिन 2003 में जांच सीबीआई को सौंपने के बाद 2006 में राम रहीम के ड्राइवर खट्टा सिंह के बयान के आधार पर डेरा प्रमुख का नाम इस हत्याकांड में शामिल किया गया था।