शिक्षा

विवादित चयनित सूची का मामला मीडिया में आने पर एबीएसए को स्थगित करना पड़ा सम्मान समारोह

अभयेश मिश्रा

बेल्थरारोड, बलिया आखिर सीयर में सोमवार को होने वाला शिक्षकों का सम्मान समारोह स्थगित हो गया। समारोह केंसिल होने से जहां एक खेमे में खुशी का तो दूसरे तरफ गम का माहौल हो  है। सूत्रों की माने एबीएसए ने अपनी तबीयत खराब होने के चलते असमर्थता जताकर समारोह को केंसिल कर दिया है। जबकि शिक्षक समारोह का मामला पूरी तरह विवादित हो गया था। शब्दभेदी डॉट कॉम सहित अन्य मीडिया में आने के बाद एबीएसए पर उंगलियां उठनी शुरु हो गयी थी।

 बता दे कि एबीएसए द्वारा चयनित सूची में शिक्षक संघ के ब्लाक अध्यक्ष सहित कई कदावर शिक्षक नेता भी थे। यही नहीं अधिकांश शिक्षकों के यहां बच्चों की संख्या दो दर्जन भी बमुश्किल पहुँच पाएगी। धरातल पर काम करने वाले शिक्षकों को सूची में स्थान न मिल पाने से मामला विवादित हो गया था। प्राथमिक शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष अनिल सिंह ने भी चयनित सूची पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा था कि इससे अच्छे शिक्षकों का मनोबल टूटेगा।


  शिक्षा क्षेत्र सीयर के  20 प्राथमिक व कम्पोजिट विद्यालयों के प्रधानाध्यापक, शिक्षकों , अनुदेशक और शिक्षामित्रो में कुछ की पहचान इस कदर है कि वे अपने विद्यालय पर जाते ही नही है। बीआरसी पर ही अपने दायित्व का निर्वहन करते है। जिसमें कुछ शिक्षक नेता भी है। सबसे बड़ी बात यह है कि शिक्षा क्षेत्र सीयर के  प्राथमिक विद्यालय शाहपुर अफगा पर प्रतिदिन लगभग 400 से  500 छात्र उपस्थित रहते है, चौकिया में 100 से 170 के बीच मे  व सोनाडीह , अखोप, सरया में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या सैकड़ो में है किंतु खण्ड शिक्षा अधिकारी सीयर द्वारा यहाँ के एक भी शिक्षक को 20 सम्मानित होने वाले शिक्षकों की सूची में स्थान नही मिला है।


वहीं प्राथमिक विद्यालय कड़सर, मोलनापुर सहित दर्जन भर ऐसे प्राथमिक व कम्पोजिट विद्यालय है जहाँ पर छात्र उपस्थिति दो दर्जन भी नही है। उनके शिक्षक उस सूची में स्थान बनाने में कामयाब है।  इस सम्बंध में जब खण्ड शिक्षा अधिकारी सुरेन्द्रनाथ त्रिपाठी से बात किया गया तो उनका कहना है कि जो लोग कोरोना काल मे ऑनलाइन टीचिंग के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई किये है । स्कूल के स्वच्छता व छात्र वृद्धि पर योगदान दिए है उनको प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करेगे। प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे प्रायः उन परिवार से होते है जिनको दैनिक खर्च चलाना भी कोरोना काल मे मुश्किल है। ऐसे में ऑनलाइन क्लासेस धरातल पर कितनी जगह बनाया होगा यह शायद ही किसी से छुपा हो।दूसरी तरफ क्या उन विद्यालयो के शिक्षकों के बिना रुचि लिए ही बच्चों की संख्या सैकड़े में पहुँच गयी।  ऐसे में खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा   छात्र संख्या बृद्धि के लिए सम्मानित होने वाले शिक्षकों की सूची पर सवालिया निशान लगने लगा था।

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