बलिया। विकास खण्ड नगरा के भीमपुरा न0 1 गांव में स्वास्थ्य महकमें की बड़ी लापरवाही सामने आयी है। डीपीटी का टीका न लगाएं जाने की वजह से एक 3 वर्षीय मासूम मौत के आगोश में चला गया। मासूम के परिजनों को इस बीमारी का पता तब चला जब वह पूरी तरह इस उससे जकड़ चुका था। इलाज हेतु लखनऊ ले गए किन्तु दो दिन बाद ही मासूम की मौत हो गयी।
स्वास्थ्य महकमें ने रात में कराया गांव में सर्वे
इस टीके से होने वाली बीमारी की जांच के लिए मासूम का सैम्पल भेजे जाने के बाद डब्लूएचओ के निर्देश पर बलिया का स्वास्थ्य महकमा जागा और रात के अंधेरे में ही भीमपुरा गांव का सर्वे कर इस टीके के लगाये जाने की हकीकत जानी तो पता चला अधिकांश मासूम इस टीके से वंचित है। हद तो तब है जब परिजन मासूमों को लेकर तय समय पर एएनएम केंद्र भी गए है फिर भी उन्हें यह टीका नहीं लगाया गया था। जिसमें पीड़ित का एक भतीजा भी शामिल है, जिसे जांच के लिए जिले से पहुंचे अफसरों ने अपने सामने टीके लगवाए।
कई गांवों का केंद्र है एएनएम सेंटर भीमपुरा
भीमपुरा न0 1 के अलावे बरवां रत्ती पट्टी, बरेवां मुखलिसपुर, गौरा, रामपट्टी, बाहरपुर, अवराईकला सिकरियां आदि गांवों की महिलाएं भीमपुरा स्थित केन्द्र पर ही आती है। स्वास्थ्य टीमें भीमपुरा गांव में तो रात्रि में ही जांच कर ली लेकिन अन्य गांवों का क्या ? उनकी जांच कौन करेगा और कब ? क्या वहां भी किसी मासूम की मौत का इंतजार करेगा स्वास्थ्य विभाग जो कि इसी केंद्र से जुड़े हैं।
लापरवाह कर्मियों पर कार्यवाई कब ?
जिले पर डिप्थीरिया से मासूम की मौत की सूचना आने के बाद स्वास्थ्य महकमा एक्शन में आ गया । और दो टीमें गठित कर भेज दी। जहां से दो टीमें पीड़ित के घर जाकर कार्ड और एएनएम केंद्र का रजिस्टर दोनों की जांच की जिसमे डीपीटी का टीका नहीं लगा था जबकि उसी समय पर दूसरा टीका लगाया गया था। पीड़ित के ही छोटे भाई के बच्चे को भी यह टीका नहीं लगाया गया था। उसके बाद रात को ही पूरे गांव में नौनिहालों के घर – घर जाकर उनके कार्ड और टीके के लगाए जाने की जांच की गई। और जांच को पहुंचे दोनों टीमों के अधिकारी वहां पर मौजूद आशाकर्मी व एएनएम को दूसरे दिन गांव के बच्चों को टीका लगाने का निर्देश देकर चले गए। और जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया। सवाल यह है क्या स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही उस मासूम की जान लौटा सकता है। अगर नहीं तो फिर जिम्मेदारों पर कार्यवाई क्यों नहीं ताकि आगे से ऐसी लापरवाही से किसी मासूम की जान न जा सके। आखिर इस लापरवाही में दोषी कौन कौन है। क्या दवा के अभाव में टीका नहीं लगाया गया या फिर रहते हुए कर्मियों की मनमर्जी के चलते नहीं लगाई गई थी।
यह है मामला
स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही का हाल भीमपुरा में भी देखने को मिला। जहां सुशील सिंह का 3 वर्षीय पुत्र यसस्वी सिंह इनकी लापरवाही की भेंट चढ़ गया। परिजनों ने बताया कि उसे सर्दी जुकाम हुआ था तो इसका इलाज लोकल चिकित्सकों से कराया। कोई रेस्पॉन्स न मिलने पर मऊ ले गए जहां के चिकित्सक ने मासूम को डिप्थीरिया की बीमारी का होना बताया। टीके के बारे में पूछे जाने पर परिजन जानकारी नहीं दे पाए। जिसके बाद उन्हें वाराणसी या लखनऊ ले जाने की सलाह दी। लखनऊ जाने पर पीजीआइ और केजीएमयू में बेड न मिलने पर एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराये जहां पर इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी। वहां से बच्चे का सैम्पल लैब गया जहां से जांच में रिपोर्ट पॉज़िटिव आने पर डब्लूएचओ ने जिले पर सूचना दी। जिसके बाद स्वास्थ्य महकमें में खलबली मच गई और दो टाइम भीमपुरा के लिए रवाना कर दी गयी।
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