बलिया। जिले की नरहीं पुलिस ने दुष्कर्म के आरोपी को आज एक हफ्ते से थाने पर बैठा रखी है, जबकि 23 जुलाई को समाधान दिवस पर युवक को तीन दिन से थाने में बैठाये जाने के मामले का मुद्दा पीड़ित के परिजनों द्वारा उठाये जाने पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया । सवाल यह है कि आरोपी को गिरफ्तार करने के इतने दिनों तक नरही पुलिस किस लिए थाने पर बैठायी है ? क्या परिजनों का आरोप सही है कि पुलिस पैसे लेकर सुलह समझौते का दबाव बना रही है ? मामला एडिशनल एसपी और सीओ के संज्ञान में आने के बाद भी सिर्फ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी दिखाने तक ही सीमित क्यों है नरहीं पुलिस ? पुलिस के आला अफसरों द्वारा अपने मातहतों के कारनामों को नजरअंदाज करने के पीछे क्या कारण है? इस मामले में डीआईजी आजमगढ़ ने कहा है कि मामले की जांच कराई जाएगी। हालांकि गुरुवार को पुलिस ने पीड़िता का बयान दर्ज कराया है।
बता दें कि नरहीं थाना क्षेत्र के एक गांव में अनुसूचित जाति की किशोरी के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया था। आरोपी को पुलिस ने तीन दिनों तक हिरासत में रखा। पीड़िता के परिजनों का आरोप था कि सुलह के लिए दबाव बनाया जा रहा था। मामला अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद समझौते के तहत दिए पैसे को शनिवार यानी 23 जुलाई को मंगा लिया गया और मुकदमा दर्ज कर आरोपी को थाने लाकर बैठा दिया गया।
मुकदमा लिखे जाने से चार दिनों पहले किशोरी के परिजनों ने नरही थाने पर शिकायत की थी कि उसकी सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी स्कूल से लौट रही थी। रास्ते में आरोपी लड़के ने उसे पकड़ लिया और दुष्कर्म किया। शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने आरोपी को पकड़ लिया। उसके बाद पुलिस समझौते के लिए दबाव बनाने लगी। वे समझौते के लिए तैयार हो गए। इसके लिए उन्हें 1.15 लाख दिए गए थे। समाधान दिवस पर पहुंचे क्षेत्राधिकारी शिवराम कुशवाहा ने किशोरी व उसके परिजनों से बातचीत की। इसके बाद शाम को पुलिस ने दुष्कर्म, पॉस्को व एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर भरौली निवासी कृष्णानंद जायसवाल उर्फ सोनू जायसवाल की गिरफ्तार दिखाई।
इस खबर को अमर उजाला ने एडिशनल एसपी का बयान लेते हुए प्रमुखता से उठाया था। लेकिन उसके 5 दिन बाद भी आरोपी युवक को पुलिस ने थाने में ही बैठाया है। आरोपी युवक को थाने में बैठाये जाने के पीछे पुलिस का क्या मकसद है यह तो उसे ही पता है, लेकिन नरहीं पुलिस की इस कारगुजारियों को संज्ञान में आने के बाद भी आला अधिकारी मुंह क्यों फेरे हुए है यह समझ से परे है।