क्राइम

…आखिर किस दबाव में दुष्कर्म के आरोपी को बचा रही है रसड़ा पुलिस !

दिग्विजय सिंह

बलिया। रसड़ा कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में  हथियार के बल पर सौ वर्षीय वृद्धा के संग हुए दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर चालान तो कर दिया। लेकिन इस प्रकरण में रसड़ा कोतवाली पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठने लगा है। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि पुलिस ने वादी से पांच हजार रुपये लेने के बाद भी मामले को दस दिनों तक लटकाये रखा। पुलिस द्वारा इस बीच मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही थी। लेकिन मामले में आला अफसरों के साथ मीडिया में आने के बाद पुलिस ने धारा 354 भादवि के तहत एक आरोपी को चालान कर दिया।      अब पुलिस के कार्रवाई पर एक बार फिर से सवाल उठने लगे है कि सात साल से कम की सजा वाले प्रकरण में गिरफ्तार कर चालान करने पर रोक है, फिर भी कोतवाली पुलिस ने ऐसा क्यों किया। बता दें कि कोतवाली पुलिस पर पैसा लेने के बाद भी बलात्कार जैसे संगीन अपराध के मामले को दर्ज नहीं किए जाने का आरोप भी पीड़ित परिवार के लोगों ने लगाया था। जिसके बाद अपर पुलिस अधीक्षक ने रसड़ा कोतवाली पहुंचकर खुद जांच की थी। 

   आखिर इस प्रकरण की जांच में अपर पुलिस अधीक्षक को क्या मिला ! जिसके तहत इस तरह की कार्रवाई करनी पड़ी। इस तरह के अनेकों सवाल आम जनता के दिमाग में कौंध रहे हैं कि जिले में सख्त एसपी के होने के बावजूद इस तरह से कानून के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है। जबकि वादी का आरोप है कि रसड़ा कोतवाली की पुलिस ने मुकदमा लिखने के लिए पांच हजार रुपये उससे ले लिए थे। बावजूद इसके आज कल में मुकदमा कहकर टहलाते रहे। इसकी चर्चा होने के बाद क्षेत्र में आरोपियों के साथ ही कोतवाली पुलिस की किरकिरी होने लगी है। लोग पुलिस के इस प्रकार के कृत्यों पर थू-थू करने लगे। आरोप है कि रसड़ा थाना क्षेत्र के गाँव मे बीते 20 अगस्त को एक बृद्ध महिला के साथ असलहे के बल पर दुष्कर्म का मामला सामने आया था। जिसमें पीड़ित पक्ष की तहरीर के बाद भी पुलिस मुकदमा लिखने के बजाय मामले को रफा दफा करने में जुटी थी। 

    इस मामले में पुलिस अधीक्षक राजकरण नैय्यर ने बलात्कार के प्रयास का मामला बताते हुए अपर पुलिस अधीक्षक संजय कुमार को जांच सौंप दी थी। जबकि जांच के बाद पुलिस ने मामले में धारा 354 के तहत एक आरोपी को पकड़कर चालान कर अपनी पीठ थपथपा ली। जबकि भारतीय दंड संहिता में धारा 354 के अपराध को निर्धारित करते हुए कहा गया है कि जो कोई किसी महिला पर हमला करता है या आपराधिक बल का प्रयोग करता है , अपमान करने के इरादे से या यह जानते हुए कि वह उसकी लज्जा को भंग कर देगा, वह एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जो एक वर्ष से कम नहीं होगा लेकिन वो पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है।

*पुलिस की कार्रवाई पर अब उठने लगे सवाल*
*शख्त एसपी के फरमान के बाद मुकदमा भी दर्ज किया तो आरोपियों को बचाने में लगी रसड़ा पुलिस* 
     पुलिस अधीक्षक को अगर बलात्कार का प्रयास रसड़ा पुलिस ने बताया था तो भी 376/511 भादवि का अपराध बन रहा है। लेकिन किन परिस्थितियों में पुलिस ने उसे लज्जाभंग का मुकदमा बना दिया है। यह लोगों को समझ मे नहीं आ रहा है। अगर इस तरह से मुकदमा लिखना ही था तो फिर इतनी नौटंकी करने की क्या जरूरत थी।
Shabd Bhedi
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