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नगरा टाउन एरिया की खेल: एक ही पोखरे पर नाम बदलकर दो भुगतान लेने की तैयारी


दिग्विजय सिंह
 

नगरा, बलिया। एक ही कार्य पर ठेकेदारों द्वारा अलग-अलग कार्यदायी संस्थाओं द्वारा सरकारी धन के बंदरबांट की कहानी हमेशा सुनने को मिलती है। लेकिन नगरा नगर पंचायत द्वारा उससे बड़ा कारनामा दिखाते हुए एक ही काम का सिर्फ नाम बदलकर लाखों रुपए डकारने की तैयारी की गई है। पहली योजना के मिले पहली किस्त 15 लाख का ढ़ाई महीने में एक चवन्नी भी खर्च नहीं किया तबतक दूसरे नाम से बनाई परियोजना की पहली किस्त 7.80 लाख भी जारी हो गयी।  परियोनाए भी छोटी नहीं है, दोनों क्रमशः 30 व 29.92 लाख  रुपये की स्वीकृति तालाब के सुंदरीकरण के लिए की गयी है। जब मामला लोगों के संज्ञान में आया तो नगर पंचायत के ईओ द्वारा दोनों को एक ही पोखरे की पुष्टी करते हुए इसे गलती से स्वीकृत हुआ प्रस्ताव बताया जा रहा है। वहीं, स्थानीय लोग इसे बजट ठिकाने लगाने की योजना बता रहे हैं। अब देखना है कि ये धनराशि वापस होती है या कुछ और।


शासन की ओर से नगरीय झील, तालाब, पोखरे के संरक्षण के तहत नगरीय क्षेत्र के तालाबों और पोखरों को बचाने तथा सुंदरीकरण के लिए योजना चलाई जा रही है। लेकिन नगरा नगर पंचायत शासन की योजनाओं से मिलने वाले धन को पलीता लगाने की तैयारी में है। जिसकी बानगी ब्लाक मुख्यालय के पीछे स्थित तालाब पर  देखने को मिली। जिसे कुछ लोग ब्लाक मुख्यालय के पीछे वाला पोखरा कहते तो कुछ लोग पचफेडवां का पोखरा कहते है। बस इसी नामों को अंधकार में रखकर शासन की योजना को अमलीजामा पहनाने की शुरुआत की गई। और दोनों ही नामों से योजनाए अलग-अलग तिथियों में लागत धनराशि के मामूली अंतर के साथ शासन को भेजी गई ताकि साबित हो कि दोनों परियोजना भिन्न है। शासन द्वारा योजनाएं पास भी हो गयी।

 इस योजना के तहत नगरा नगर पंचायत में पहले पचफेड़वा में स्थित तालाब के सुंदरीकरण के लिए आठ अक्तूबर को परियोजना स्वीकृत करायी गयी। जिसके सुंदरीकरण के लिए 30 लाख की परियोजना स्वीकृति हुई। शासन द्वारा उसकी पहली किस्त के रूप में 15 लाख रुपये जारी भी कर दिए गए। वहीं, दुबारा 24 दिसंबर को एक अन्य आदेश में नगरा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के पीछे स्थित पोखरे के सुंदरीकरण के लिए 29.92 लाख की परियोजना को स्वीकृत करायी गयी। इस बार भी निर्माण शुरू करने के लिए पहली किस्त में 7. 8 लाख की धनराशि भी जारी कर दी गयी है। इस बारे में अधिशासी अधिकारी रामबदन यादव से बात की गई तो पहले तो गोलमोल जबाब देते रहे। बाद में बताया कि दूसरे किसी पोखरे का प्रस्ताव भेजा ही नहीं गया है। दोनों पोखरे एक ही हैं। गलती से एक पोखरे का प्रस्ताव दो बार स्वीकृत हो गया है।

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