* जगह-जगह डंप कर उंचे कीमतों पर बेचा जाता है सफेद बालू
जिले में सालों से सफेद बालू के अवैध खनन का कारोबार अधिकारियों की मिलीभगत से धड़ल्ले से फल-फूल रहा है। इस अवैध कारोबार से जहां खनन माफिया मालामाल हो रहे हैं वहीं हर महीने करोड़ों के राजस्व की भी हानि हो रही है। वर्ष 2008-09 में सफेद बालू के खनन के लिए पट्टा देने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। इसके बाद भी जिले में सफेद बालू के खनन का काम कभी नहीं रुका। हालांकि सरकार के निर्देश पर वर्ष 2017 में जिला प्रशासन की ओर से ई-टेंडरिंग की प्रकिया शुरू की गई। इसमें कई बालू खदानों को शामिल किया गया है जो सरयू व टोंस के किनारे के हैं। धरातल पर स्थिति यह है कि गंगा, सरयू व टोंस नदी के किनारे धड़ल्ले से अवैध खनन किया जा रहा है। खासकर खनन का कार्य रात के अंधेरे में पोकलेन या जेसीबी से किया जा रहा है। नरही थाना के कोटवां नारायनपुर, नसीरपुर मठ, सरयां, उजियार, भरौली, गोविंदपुर, सोहांव, पलियाखास, इच्छा चौबे के पुरा आदि गंगा किनारे हो रहे अवैध खनन होने की जानकारी होने पर छह माह पहले तत्कालीन नरही एसओ ने तो खनन विभाग को कई बार पत्र भी भेजा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
एक साल बाद भी निष्प्रभावी दिख रही कमेटी
बलिया। जिले में हो रहे अवैध खनन को रोकने के लिए एक साल पहले जिलाधिकारी की ओर से कमेटी बनाई गई, लेकिन यह भी निष्प्रभावी दिख रही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गंगा के किनारे कोटवां नारायनपुर से लेकर शहर तक एनएच 31 व अन्य सड़कों के किनारे की सफेद बालू का भंडार है जो उंचे दामों पर बेचा जाता है। इस इलाके में कोई भी खदान नहीं है और गंगा किनारे बालू खनन पर प्रतिबंध भी है।
गंगा किनारे खनन के लिए कोई पट्टा आवंटित नहीं
जिले में गंगा किनारे खनन के लिए कोई पट्टा आवंटित नहीं है और गंगा के किनारे खनन पूरी तरह वर्जित है। अवैध खनन रोकने को लेकर सभी एसडीएम, तहसीलदार व खनन अधिकारी को निर्देश भी जारी किया गया है। गैर पट्टा वाले क्षेत्रों में खनन को लेकर पड़ताल कर कार्रवाई की जाएगी।
– राम आसरे, एडीएम, बलिया