प्रयागराज। हाईकोर्ट इलाहाबाद ने एक बार फिर कहा कि दो वयस्क को अपने पसंद का जीवनसाथी चुनने का अधिकार है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस दीपक वर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ ने मुस्लिम महिला और उनके हिंदू साथी द्वारा दाखिल की गई एक याचिका पर यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ताओं ने दलील है कि वे एक दूसरे से प्रेम करते हैं और अपनी मर्जी से साथ साथ रह रहे हैं।कोर्ट ने दोनों को सुरक्षा प्रदान करते हुए कहा कि इनके संबंधों को लेकर इनके मां बाप तक आपत्ति नहीं कर सकते।
पीठ ने कहा, इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं है कि दो बालिगों के पास अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने का अधिकार है, उनका धर्म भले ही अलग अलग हो। यह याचिका एक दूसरे से प्रेम करनेवालो के तरफ से दाखिल की गई है और इनका दावा करते हैं कि वयस्क हैं। इसलिए कोई भी व्यक्ति उनके संबंधों को लेकर एतराज नहीं कर सकता।कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इन याचिकाकर्ताओं को उनके मां बाप या अन्य व्यक्ति भी किसी तरह से परेशान न करे। सुनवाई के वक्त कोर्ट को बताया गया कि महिला मुस्लिम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने के लिए एक प्रार्थना पत्र भी दाखिल किया है।जिस पर जिलाधिकारी ने संबंधित थाने से रिपोर्ट मंगाई है।
रिपोर्ट में पुरुष के पिता इस शादी के खिलाफ हैं लेकिन मां राजी है। इसी तरह महिला के मां-बाप भी इस शादी के खिलाफ हैं । अदालत ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि दोनों याचिकाकर्ता बालिग हैं ।अदालत ने इस अंतरधार्मिक जोड़े की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया।
अदालत ने पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं को लड़की के पिता या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा एक-दूसरे के साथ संबंधों के संबंध में किसी भी तरह का उत्पीड़न न किया जाए।