एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार अजय प्रताप सिंह,प्रदीप सिंह और नीलेश सिंह |
बृजेश सिंह
न्यूजडेस्क। एसटीएफ की वाराणसी यूनिट ने शनिवार सुबह छावनी क्षेत्र स्थित एक मॉल के पास से सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के सरगना सहित तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। जिसमें बलिया जिले के भीमपुरा थाना क्षेत्र के बरवां रत्ती पट्टी निवासी युवक भी शामिल है। जो गिरोह का सरगना बताया जा रहा है। कैंट थाने में तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। आरोपियों के पास से एक बाइक, 3 मोबाइल, अलग-अलग विभागों की 3 मुहर, अलग-अलग विभागों के कूटरचित नियुक्ति पत्र, 9 लाख रुपए का चेक, 3050 रुपए, RTGS रसीद, 2 आधार कार्ड, 1 एटीएम और अन्य कागजात बरामद हुए हैं।
एसटीएफ वाराणसी यूनिट के निरीक्षक पुनीत परिहार को सूचना मिली कि नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का सरगना निलेश सिंह अपने दो साथियों के साथ छावनी क्षेत्र स्थित एक मॉल के पास मौजूद है और युवकों को भर्ती के नाम पर बुलाया है। इस पर टीम ने घेराबंदी करते हुए तीनों को गिरफ्तार किया। एसटीएफ की पूछताछ के दौरान गिरफ्त में बलिया के भीमपुरा थाना अंतर्गत बरवां रत्ती पट्टी गांव निवासी निलेश सिंह उर्फ अभिषेक, मऊ के मधुबन थाना अंतर्गत परसुपुर गांव निवासी प्रदीप सिंह, चंदौली स्थित सकलडीहा थाना अंतर्गत रानेपुर गांव निवासी अजय प्रताप सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग, रेलवे, पुलिस, खाद्य निगम (उत्तर प्रदेश, हरियाणा व झारखंड), फॉरेस्ट गार्ड (यूपी और बिहार-झारखंड) और आर्मी में जीडी के पद पर नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगारों से धोखाधड़ी करते हैं।
2019 से सक्रिय था यह गिरोह सात लाख में देते थे नौकरी
टीम द्वारा पूछताछ में बताया कि इनका एक संगठित गिरोह है जो वर्ष 2019 से सक्रिय हैं। गिरोह के सदस्य इंटरनेट पर सरकारी नौकरी की वेबसाइट चेक किया करते हैं। उसके बाद नौकरी का लालच देकर बेरोजगार युवक, युवतियों को फंसाकर विभिन्न विभागों के कूटरचित जाली नियुक्ति पत्र बनाकर दे देते थे, इस कार्य के एवज में उनके अभिभावकों से सात-सात लाख रुपये वसूलते थे।अब तक ऐसे 23 बेरोजगार युवक उनके झांसे में आ चुके थे और उनसे 70 लाख रुपए हम लोग ऐंठ चुके थे। वहीं, 12 अन्य से नौकरी दिलाने की बातचीत चल रही थी।
वेरिफिकेशन की बात कह दिलाते थे भरोसा
सरगना निलेश ने बताया कि इस खेल में उसके साथ अन्य कई और लोग भी शामिल हैं। अजय और प्रदीप नौकरी दिलाने के नाम पर युवकों और युवतियों के अभिभावकों से अपने मोबाइल फोन से मेरी बात कराते थे। जिनका पैसा मिलता था, उनके कूटरचित नियुक्ति पत्र पोस्ट आफिस या स्वयं व अपने झारखंड के सहयोगियों बलिया के सिकंदरपुर निवासी चन्द्रभूषण यादव और महतो के माध्यम से फर्जी नियुक्ति पत्र व पुलिस वेरिफिकेशन के कागजात डाक से उनके पते पर भेजते थे। युवक- युवतियों के अभिभावकों से कहा जाता था कि थाने पर जाकर भेजे गये वेरिफिकेशन पत्र को सत्यापित कराकर भेज दो। इस पर उन्हे विश्वास हो जाता था कि मेरी नौकरी लग गई है।
ज्वेलरी, कपड़े की दुकान व हार्वेस्टर मशीन में किये थे धोखाधड़ी के पैसे का निवेश
पूछताछ में इन लोगों द्वारा यह भी बताया गया कि ठगी से लगभग 60-70 लाख रुपये प्राप्त हुआ। इस ठगी से प्राप्त अधिकांश धन का निवेश कपडे़ की दुकान व हारवेस्टर मशीन और ज्वेलरी की खरीदारी में किया। एसटीएफ अब इनके अन्य साथियों के बारे में जानकारियां जुटा रही है।