कुमार सत्यम
बलिया। उर्वरक वितरण का कार्य पहले से ही पीओएस मशीन के जरिए करने की व्यवस्था है। अब किसानों को फास्फेटिक उर्वरक खरीदने के लिए खतौनी भी दिखाना होगा। इस बाबत सरकार की ओर से जारी निर्देश पर जिला कृषि विभाग की ओर से तैयारी शुरू की गई है। रबी की बोआई को लेकर फास्फेटिक उर्वरक की मांग के फॉस्फेटिक उर्वरक की कालाबाजारी को रोकने के लिए यह कवायद की गई है। उधर, फॉस्फेटिक उर्वरक की मांग अधिक होने को लेकर कृषि विभाग की ओर से तीन रैक की डिमांड भेजने की तैयारी है।
हर वर्ष खरीफ व रबी की बोआई के समय में उर्वरक की डिमांड अधिक हो जाती है और इस समय निजी दुकानदारों की ओर से कालाबाजारी भी शुरु कर दी जाती है। इस पर लगाम लगाने के लिए सरकार की ओर से कुछ वर्ष पहले आधार नंबर पर पीओएस मशीन से उर्वरक बिक्री करने की व्यवस्था लागू की गई। शासन ने माना है कि खासकर रबी की बोआई के समय फॉस्फेटिक उर्वरक डीएपी, एनपीके, एमएसपी की डिमांड काफी बढ़ जाती है। ऐसे में प्रत्येक किसान को उसके द्वारा निर्धारित फसल की बोआई को लेकर फॉस्फेटिक उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सके यह सुनिश्चित होना आवश्यक है।
इसके लिए किसानों को उर्वरकों की बिक्री करते समय उनकी जोत बही या खतौनी देखकर उसमें अंकित कृषि भूमि एवं उगाई जाने वाली फसल की निर्धारित संस्तुतियों के अनुसार पीओएस मशीन के माध्यम से उर्वरकों की बिक्री की जाए। विक्रेताओं की ओर से विक्रय रजिस्टर पर किसानों की जोत बही या खतौनी के अलावा बोई जाने वाली फसल का ब्योरा भी अंकित जाएगा। शासन से जारी निर्देश पर कृषि विभाग की ओर से कार्रवाई शुरु कर दी गई है। जिला कृषि अधिकारी की मानें तो जिला मुख्यालय पर किसानों की सुविधा के लिए कॉल सेंटर खोला जाएगा। उधर, रबी की बोआई के समय फॉस्फेटिक उर्वरक की डिमांड बढ़ने को लेकर तैयारी भी तेज कर दी है। जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि जिले में दो रैक यानि करीब 7500 मी. टन फॉस्फेटिक उर्वरक की डिमांड भेजने की प्रकिया चल रही है।
फॉस्फेटिक उर्वरक की बिक्री अब किसानों को खतौनी व बोई जाने वाली फसल के आधार पर की जाएगी। इस बाबत शासन को निर्देश प्राप्त हो चुका है। इसको लेकर सभी वितरकों को निर्देश देने के साथ ही मुख्यालय पर कॉल सेंटर भी स्थापित किया जाएगा।
– विकेश कुमार, जिला कृषि अधिकारी, बलिया।