*बिना टंकी, टैंक, हैंडपंप के शौचालय पूर्ण
बृजेश सिंह
बलिया। जनपद में एक ऐसा ब्लाक जहां बिना टैंक, टंकी और हैंडपंप के ही शौचालय बनाने का परीक्षण किया गया है। और इस तकनीकी को ईजाद करने में ग्राम प्रधान से लेकर खण्ड विकास अधिकारी तक ने कड़ी मशक्कत की है। अगर भरोसा न हो तो चले आईये जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूरी पर स्थित सीयर ब्लाक के चन्दाडीह गांव में। जहां प्रधान व ब्लाक कर्मियों के संयुक्त प्रयास से नया परीक्षण किया गया है। ताज्जुब इस बात का है कि इस नए किस्म के शौचालय की भी उतनी ही लागत सरकारी खजाने से आवंटित की गयी है जितना अन्य के लिये। जो नए तकनीकी से बनाये गए शौचालय के अनुमानित लागत से अधिक है। गांव में नवनिर्मित शौचालय पर ग्राम प्रधान से लेकर खण्ड विकास अधिकारी तक के नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। लेकिन जब ऐसे तरीके से शौचालय निर्माण का श्रेय देने की बात आ रही है तो पूर्व प्रधान तो क्या वर्तमान प्रधान भी श्रेय लेने से कतरा रहे है। यही नहीं ब्लाक का कोई अधिकारी भी फैसला नहीं कर पा रहा है कि असल मे इस नई तकनीकि खोज का असली हकदार कौन है। खैर अब तो जिले के अधिकारी ही जांच कर बताएंगे कि इस तकनीकी को ईजाद करने वाले महान लोगों को क्या इनाम मिलेगा।
ज्ञात हो कि 6 माह पूर्व जिलाधिकारी अदिति सिंह ने तहसील व ब्लाक के निरीक्षण के दौरान सीयर ब्लाक के बीडिओ गजेंद्र प्रताप सिंह को प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में शामिल सामुदायिक शौचालय के निर्माण कार्य को पूरा कराने के आदेश दिया। लेकिन अभी भी दर्जन भर शौचालय अधूरे पड़े है। ब्लाक के रिकार्ड में पूर्ण कराए गए शौचालय में एक शौचालय चन्दाडीह में भी है। जो अपने निर्माण की कहानी तस्वीर के माध्यम से बयां कर रहा है।
ब्लाक के तेज तर्रार इंजीनियरों के द्वारा ईजाद किये गए शौचालय की डिजाइन कुछ इस कदर है – सामुदायिक शौचालय बिना सीट की बनी है, यही नहीं अधूरे टैंक वो भी बिना ढक्कन वाले है, और तो और पानी बिना टंकी और हैण्डपम्प के ही सिर्फ बोरिंग के सहारे शौचालय के अंदर पहुँचता है। वैसे तो दीवाल की रँगाई पुताई कराकर ग्राम प्रधान मीना देवी, सचिव चन्द्रभान गुप्ता , एडीओ पंचायत आनन्द कुमार राव तथा खण्ड विकास अधिकारी सीयर गजेन्द्र प्रताप सिंह का नाम लिखकर अपनी पीठ थपथपा रहे है। लेकिन इन नामों में कोई भी इस शौचालय को बनाने की तकनीकी का श्रेय लेने से कतरा रहा है। चन्दाडीह की वर्तमान प्रधान कान्ति देवी है। इनका कहना है कि यह मेरे कार्यकाल के नहीं है।
जब सीयर ब्लाक में ऐसे इंजीनयर है जो नयी तकनीकी से शौचालय का निर्माण करा रहे है जिसकी अनुमानित लागत सरकारी लागत से कम पड़ेगी तो टैंक, टंकी और हैण्डपम्प वाले शौचालय निर्माण पर सरकारी बजट खर्च करने का क्या फायदा। अन्य ब्लाकों के अधिकारियों व प्रधानों को भी यहां आकर नए अविष्कार की टिप्स लेनी चाहिए। या ये भी हो सकता है कि ऐसी तकनीकी सभी ब्लॉकों में भरी पड़ी हो। अब सवाल यह है कि क्या वास्तव में कोई ऐसी तकनीकी है या फिर बम्पर शौचालय घोटाला हुआ है। जहां अधूरे निर्माण को पूरा दिखाकर जिलाधिकारी को खुश कर दिया गया हो और पैसों का आपस में बंदरबाट कर लिया गया हो। जिलाधिकारी जांच कराए तो शौचालय निर्माण के इस नए तकनीकी में ग्राम प्रधान से लेकर खंड विकास अधिकारी तक घेरे में आ जायेंगे।