नई दिल्ली: अपने बेटे के लिए इंसाफ की लम्बी लड़ाई लड़ने वाले पिता को 19 साल बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुशी मिली है। युवक को मुठभेड़ में मारे जाने के पुलिसिया दावे के खिलाफ पिता सिस्टम से लड़ता रहा। लेकिन उसे इंसाफ नहीं मिला। सुप्रीम कोर्ट ने 19 साल पुराने मुठभेड़ में मारे गए युवक के मामले में उत्तर प्रदेश राज्य पर 7 लाख रुपए का अंतरिम जुर्माना लगाया है। शीर्ष अदालत ने राज्य के अपने ही पुलिस अधिकारियों को बचाने के प्रयास को अनुचित ठहराया है। जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा है कि राज्य ने इस मामले में जिस ढिलाई से कार्रवाई की है, उससे पता चलता है कि कैसे राज्य मशीनरी द्वारा प्रदेश के पुलिस अधिकारियों का बचाव किया जा रहा है।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता यशपाल सिंह जो पुलिस द्वारा एक कथित मुठभेड़ में मारे गए मृतक के पिता हैं, पिछले 19 वर्षों से दर-दर भटक रहे हैं। वर्तमान मामले में राज्य ने जिस ढिलाई के साथ करवाई की है, वह बताता है कि कैसे राज्य मशीनरी अपने पुलिस अधिकारियों का बचाव या सुरक्षा कर रही है। यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कोर्ट रजिस्ट्री में सात लाख जमा करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता इस राशि को लेने का हकदार होगा।