उत्तर प्रदेश

पत्रकार रतन : आखिर मौत के बाद कहां गयी उनकी हमदर्दी और अश्वासन, देखते देखते वर्षी भी बीती

द्विग्विजय/ बृजेश

बलिया। ये सच है कि संवेदना, हमदर्दी, रिस्ते की हकीकत इंसान के गुजरने के बाद ही दिखाई देती है। इसकी सच्चाई युवा पत्रकार रतन सिंह की हत्या के बाद देखने को मिल रही है। पत्रकार रतन सिंह की हत्या को धीरे – धीरे एक वर्ष हो गये लेकिन प्रशासन एवं मंत्री द्वारा द्वारा हत्या के समय दिखायी गयी हमदर्दी और दिया गया आश्वासन कोरा वादा साबित हो रहा ।

रतन सिंह फाईल फोटो

    बलिया के पत्रकारों के लिए वह भयावह काली रात्रि की आज वर्षी है। जनपद में हुई पत्रकारों के साथ अबतक की ऐसी पहली घटना थी जो शायद ही किसी पत्रकार साथी ने सोची होगी। 24 अगस्त 2020 की रात पत्रकारों के लिए खौफनाक रात थी।  स्व0 रतन सिंह की हत्या के बाद उसके क़ातिलों को सजा दिलाने के लिए 20 घण्टे तक चली प्रशासन के साथ नूरा कस्ती करते पत्रकार साथियों को आश्वासन की गोली पिला दी गयी। तत्कालीन डीआईजी, एडीएम व क्षेत्रीय विधायक व मंत्री ने मृतक पत्रकार  के परिजनों के सामने आंसू के साथ हमदर्दी व सहानुभूति दिखाते हुए नौकरी से लेकर बच्चों की पढ़ाई के साथ आरोपियों पर एनएसए की कार्यवाही का आश्वासन दिया। रतन  की मौत को आज एक वर्ष पूरे हो गए। उन हमदर्दी और आश्वासनों की हकीकत क्या है शायद ही किसी से छुपी हो। फिर ऐसी हमदर्दी और संवेदना किस काम की जो सिर्फ लोगों की सहानभूति बटोरने के लिए दिखायी गयी। भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार संघ के जिलाध्यक्ष द्विग्विजय सिंह  ने कहा कि ऐसे खोखले वादे किसी को क्यों दिए जाते है जिसकी आस में उसके परिजन टकटकी लगाए रहते है। संगठन ने अपने पत्रकार साथी की वर्षी पर नगरा में बैठक कर श्रद्धाजंलि अर्पित की।

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