श्रीमती सिंह ने कहा कि बलिया क्रांतिकारियों की भूमि है और क्रांतिकारी दिल से भावुक होते है इस लिए कहूंगी की आप का निर्णय भावुकता में न हो काफी सोच विचार के बाद हो। आज सबकुछ बेचने वाले सत्ताधीश लोग आत्मनिर्भर का नारा दे रहे है जो सरासर जुमला है। समाजवादी सरकार में निर्मित विकास कार्यो का फीता काट कर फोटो खिंचवाने में ही अपना 5 वर्ष का कार्यकाल विताने वाले अहंकारियों को सत्ता से बेदखल करना बागी बलिया के लोगो आप की जिम्मेदारी है।पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को जब सपा सरकार बनेगी तो बलिया तक आवश्य लाया जाएगा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक श्रीमती मंजू सिंह ने कहा कि बलिया जनपद हमेशा से देश और प्रदेश का नेतृत्व किया है।महिला विरोधी वर्तमान सत्ता को सत्ता से बेदखल करने में भी बलिया ही नेतृत्व करेगा।
राष्ट्रीय सचिव चिन्ता यादव ने कहा कि महिलाओं के बेहत्तरी एवं बराबरी के लिए अखिलेश यादव जी को 2022 में सत्ता दिलाना आवश्यक है।अध्यक्षता महिला सभा की जिला अध्यक्ष सुशीला राजभर ने किया। समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष राजमंगल यादव ने जनपद के सीमा पर तथा कार्यक्रम स्थल पर भी सभी समाजवादियों के तरफ से मुख्य अतिथि का स्वागत किया।
इस अवसर पर श्रीमती सुनीता सिंह, ममता चंद्रा, संस्कृति सिंह, रेनु सिंह, श्रीमती मनोरमा सिंह, सरिता सिंह, सरिता पाण्डेय, शशिबाला सिंह, आरती जायसवाल, गीता देवी, सुषमा देवी, खुसबू वर्मा, पिंकी वर्मा, श्रुति गुप्ता, रूपा वार्ना, रीना जायसवाल, चम्पा पासवान, सविता सिंह, पवित्री वर्मा।
इस अवसर पर समाजवादी पार्टी के नेताओ ने भी पार्टी के महिला सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती जूही सिंह का स्वागत किया जिसमें संग्राम सिंह यादव,सुभाष यादव, गोरख पासवान, लक्षमण गुप्ता, संजय उपाध्याय, सुशील पाण्डेय “कान्हजी” विश्राम यादव, यशपाल सिंह, चंद्रशेखर सिंह, शेख अहमद अली संजय भाई, अजय यादव, जलालुदीनजे डी., मंटु साहनी, रविन्द्र नाथ यादव, जयप्रकाश मुन्ना, बंशी धर यादव, पूना सिंह, कामेश्वर सिंह, विकेश सिंह सोनू, शशिकान्त चतुर्वेदी, अनिल राय, अजित मिश्र,जमाल आलम, रामेश्वर पासवान,शिवजी राय चंदेल, राकेश यादव, मुनजी प्रसाद, इरफान अहमद, राजेश यादव, हरेन्द्र गोंड, राहुल राय, शामू ठाकुर, मनोज गुप्ता, अमरजीत यादव, मंटु दुबे, अनिल खरवार, अटल पाण्डेय, अजय राय, विकाश पाण्डेय, पवन सिंह बंटी, मनीष गुप्ता, राकेश खरवार, जगमोहन विन्द, श्री कान्त गिरी, विजय यादव आदि रहे। संचालन राजन कनौजिया ने किया।
“बलिया के भोजपुरी भाषा मे कुछ देर तक संवाद कर सीधे जुड़ने की कोसिस वहा उपस्तित महिलाओं में अपनत्व का एहसास करा रही थी।