उत्तर प्रदेश

…और शासनादेश के विपरीत यातायात पुलिस काट रहे जुर्माना

प्रदीप गुप्ता 
बलिया। सूबे की सरकार में बाइक या कोई भी वाहन लेकर सड़क पर निकलने वालों की मुश्किलें बढ़ गयी है। शासन के नए फरमान के बाद वाहनों का चालान तेजी से काटा जा रहा है, लेकिन अब भी वाहनों के ऑनलाइन चालान काटने वाले सॉफ्टवेयर को अपडेट नहीं किया गया। ऐसे में बिना डीएल बाइक चलाने वालों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। पुलिस के बिना डीएल वालों को 500 रुपये का चालान काट रही है, लेकिन कोर्ट में उसके लिए 5000 रुपये का शमन शुल्क जमा करना पड़ रहा है। इससे वाहन स्वामी और वकील में तू तू मैं मैं अक्सर देखी जा रही है।

सरकार द्वारा वाहन चालकों के लिए नए नियम लागू करने के बाद यातायात नियमों में कितना सुधार हो रहा है यह तो देखना ही पड़ेगा, लेकिन यातायात के नियमों ने वाहन स्वामियों को गफलत में डाल दिया है। आलम यह है कि पुलिस बिना लाइसेंस के ड्राइविंग करने वाले वाहन चालकों का ₹500 का चालान काट रही है। जबकि उसे कोर्ट में भेजने के बाद ₹5000 बताकर समन शुल्क जमा कराया जा रहा है. अब वाहन स्वामियों के समझ में यह नहीं आ रहा है कि अगर पहले 500 से ₹1000 तक का जुर्माना वसूला जाता था, फिर भी पुलिस ₹500 ही बिना ड्राइविंग लाइसेंस के वाहन चालक  पर जुर्माना काटती रही है। 2019 में ही यातायात को दुरुस्त करने के लिये शासनादेश में बदलाव कर अब उसे ₹5000 कर दिया गया है। जिसका निर्देश यातायात पुलिस सहित पुलिस विभाग के आला अफसरों को भी भेज दिया गया है। लेकिन पुलिस विभाग के सॉफ्टवेयर में अब तक संशोधन नहीं किए जाने से चौक, चौराहे पर खड़े यातायात पुलिस के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा अभी भी बिना ड्राइविंग लाइसेंस के वाहन चलाने पर ₹500 जुर्माना काटकर उसे चालान रिपोर्ट दे रहे हैं।

       सबसे दिलचस्प है कि अगर पुलिस ₹500 का जुर्माना काट रही है तो कोर्ट में उसे ₹5000 क्यों जमा कराया जा रहा है। इसको लोग लेकर असमंजस की स्थिति में है। कई बार वाहन स्वामी जुर्माने में अंतर को लेकर अपने अधिवक्ता पर ही दोषारोपण करने लगते हैं. जबकि कोर्ट निर्धारित शुल्क से कम जमा कराने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। अब देखना यह है कि पुलिस विभाग के अधिकारी कबतक सॉफ्टवेयर को संशोधित करवाते हैं या लोगों को इसी तरह गफलत में डालकर पैसा वसूलते रहेंगे। इस संबंध में पूछे जाने पर यातायात सीओ भूषण वर्मा ने बताया कि पुलिस विभाग द्वारा जारी सॉफ्टवेयर के अनुसार ही जुर्माना किया जा रहा है। अब शासनादेश में बदलाव किया गया है, तो उसे सॉफ्टवेयर में भी बदलने की जरूरत है। इसको लेकर विभाग के आला अफसरों से बात किया जायेगा।

Shabd Bhedi
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