उत्तर प्रदेश

किसान आंदोलन का जल्द हल निकाले सरकार नहीं तो 8 सितंबर को होगा देशव्यापी आंदोलन

द्विग्विजय सिंह
नगरा – भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष  युगल किशोर मिश्र  कहे कि केंद्र सरकार किसान आंदोलन का शीघ्र कोई हल नहीं निकालती है, तो आने वाले समय में उसकी मुश्किलें और ज्यादा बढ़ सकती हैं।  संगठन किसानों को उनकी उत्पादन लागत को पूरा करने के लिए उनकी उपज का ‘लाभदायक मूल्य’ देने के लिए दबाव बनाने के लिए आठ सितंबर को देशव्यापी आंदोलन करेगा।

केंद्र के नए कृषि कानूनों में सुधार की जरूरत है। कृषि कानून का किसान विरोध कर रहे हैं। केंद्र सरकार को प्रमुख कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के भुगतान का प्रावधान जोड़ने के लिए   एक नया कानून लाना चाहिए । किसानों के उत्पादन लागत को कवर करने के लिए उनकी उपज का ‘लाभकारी मूल्य’ मिलना चाहिए, जो उन्हें मौजूदा प्रणाली में नहीं मिल रहा है।

 पारिश्रमिक मूल्य उत्पादन लागत और लाभ संगठन की मांग  हैं। लाभकारी मूल्य किसानों का अधिकार है, जिसे सरकार द्वारा सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। सरकार द्वारा आज घोषित एमएसपी लाभकारी मूल्य नहीं है। हालांकि, अगर वह ऐसा नहीं कर रही है तो उसे कम से कम एमएसपी देना चाहिए जिसकी वह घोषणा कर रही है और उसके लिए एक कानून सरकार को लाना चाहिए । श्री मिश्र अपने आवास पर शब्दभेदीडॉटकॉम से बात चीत कर रहे थे।

  कहे कि सरकार को अनुबंध खेती के संबंध में दिशानिर्देश बनाना चाहिए जिसमें फसलों को एमएसपी से कम नहीं खरीदा जाता है। इसे कम से कम 23 फसलों के लिए लागू किया जाना चाहिए। जो वर्तमान में एमएसपी शासन के तहत हैं।एक कृषि न्यायालय विवादों के निपटारा के लिएहोना चाहिए। इसी तरह, कृषि क्षेत्र में आने वाले (निजी) व्यापारियों को पंजीकृत होना चाहिए और उन्हें बैंक सुरक्षा देनी चाहिए। 

 सरकार व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बड़ी कंपनियों को बड़ी छूट दी है, जिससे वे कुछ वस्तुओं को जितना चाहें स्टॉक कर सकते हैं और इसे ठीक करने की जरूरत है। आवश्यक वस्तु अधिनियम में 2020 का संशोधन, जो नए कृषि कानूनों का हिस्सा है, कुछ आवश्यक वस्तुओं के स्टॉक पर प्रतिबंध हटा देता है इसमें संशोधन की जरूरत है । कहे कि गणतंत्र दिवस पर हिंसा के बाद केंद्र के साथ  किसानों की बातचीत बंद हो गई। सरकार और किसान संघों ने अब तक 11 दौर की बातचीत की है, नए कानूनों पर गतिरोध को तोड़ने और विरोध को समाप्त करने के लिए आखिरी बातचीत 11 जनवरी को हुई थी।

Shabd Bhedi
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