संजय शर्मा नगरा। अंग्रेजो से देश को आजाद कराने के लिए सन् 1942 के भारत स्वाधीनता संग्राम के जंगे अजादी की क्रान्ति के दौरान बलिया जाग उठी थी।जंग मे सीयर ब्लाक के चरौंवां गॉव के अमर शहीदों एवं स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियो ने जंगे आजादी में अपने प्राणो की आहूति देकर बलिया का नाम स्वर्णिम अक्षरो मे अंकित कर दिया।
बलिया वासियो के उग्र तेवर को देख अंग्रेज हुक्मरान दंग रह गये और उनकी शूरवीरता व अदम्य साहस से गोरो के खेमे मे खलबली मच गयी। जिससे अंग्रेज हुक्मरानो ने विषेशाधिकार प्राप्त सर्वोच प्रशासक नेदर सोल व मार्क स्मिथ के नेतृत्व मे जल मार्ग से अंग्रेजी फौज की टुकड़ी बलिया भेजी। इस फौज का एक दास्ता कैप्टन मूर की नेतृत्व में ग्राम चरौंवां पहुॅचा। गोरो कों खुफिया रिर्पोट से पता चला कि चरौंवा गॉव क्रान्तिकारियो की गुप्त गतिविधियो का केन्द्र है। अंग्रेजो ने 25 अगस्त सन् 1942 को पूरे गॉव को घेर लिया और गॉव के मुखिया रामलखन सिंह के यहां चौकीदार भेजकर संदेश दिया कि पूरे गॉव को तबाही से बचाना चाहते हो तो क्रान्तिकारियो को हमें सौंप दो। चौकीदार की बात सूनते ही मुखिया रामलखन सिह आग बबूला हो गये और चौकीदार के कान पर ऐसा थप्पड़ मारा की कान से खून टपक पड़ा। इसके बाद अंग्रेजो ने दमन चक्र के तहत चरौंवां गॉव मे गोलिया बरसानी शुरू कर दी। तब क्रान्तिकारियो ने ग्रामीणो को ललकारा कि गोरो के हाथ मे बन्दूके हैं तो हमारे हाथ मे लाठी। जोश से भरे ग्रामीण लाठी लेकर अंग्रजो पर टूट पड़े, जिससे अंग्रेजो मे भगदड़ मच गयी। अंग्रेजो की गोली से खर बियार शहीद हो गया। यह देख मकतुलिया मालिन ने कैप्टन मूर के सिर पर हाड़ी चलाकर मार दी जिससे कैप्टन मूर तमतमा उठा और मकतुलिया मालिन को गोली मार दी । अंग्रेजो ने मृत मकतुलिया मालिन को उठवाकर घाघरा नदी मे फेकवा दिया। अंग्रेजो के द्वारा की गयी गोलाबारी मे मंगला सिंह, शिवशंकर सिंह अंग्रेजो से लड़ते हुए शहीद हो गये। इस तरह चरौंवा के चार शुरवीर सपूतोने देश के लिए शहादत दी। इस दौरान बृजबिहारी सिंह,राधा कृष्णसिंह,कन्हैया सिंह,कपिलदेव सिंह,श्रीराम तिवारी, दषरथ सिंह,हरिप्रसाद स्वर्णकार आदि ने अंग्रजो के दॉत खट्टे कर दिये। गोरो के इस ताण्डव की प्रतिक्रिया पूरे देष मे हुई। इसे गम्भीरता से लेते हुए कांग्रेस कमेटी ने फिरोज गॉधी को वस्तुतः स्थिति का जायजा लेने के लिए भेजा। इस हृदय विदारक सहादत को देख फिरोज गॉधी भी फफक पड़े। चरौंवां के शहीदों के याद मे शहीद स्मारक का निर्माण कराया गया है। आज भी 25 अगस्त को शहीद स्थल पर मेला लगता है। जहॉ विभिन्न दलो के प्रतिनिधि व संगठन के लोग कार्यक्रम मे भाग लेते है।