दिग्विजय सिंह
नगरा। पूर्व विधायक एवं भाजपा प्रदेश कार्य समिति के सदस्य राम इकबाल सिंह ने कहा कि प्रतिहार राजा मिहिर भोज के प्रतिमा पर सम्राट गुर्जर राजा लिखे जाने से पश्चिम के क्षत्रिय वर्ग में काफी नाराजगी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री से गुजारिश है कि इतिहास को तोड मरोड़ कर न पेश करे। स्टेशन , जिला का नाम बदलते – बदलते कुल खानदान बदलने की गलती न करे ऐसी गलती को इतिहास माफ नहीं करेगा।
पूर्व विधायक कहे कि मिहिर भोज प्रतिहार वंश के सर्वाधिक शक्तिशाली राजा थे।प्रतिहार वंश की नीव 725 ईस्वी में नागभट्ट प्रथम ने रखी थी। ज्यादातर विद्वान यह मानते हैं कि प्रतिहारो के राजनीतिक शक्ति का उदय राजस्थान के दक्षिण पूर्व गुर्जर प्रदेशों में हुआ था। इसलिए स्थान के नाम पर उन्होंने प्रतिहार के आगे गुर्जर शब्द का प्रयोग किया।प्रतिहारो की उत्पति अग्नि कुंड से हुई है,ऐसा माना जाता है।ऋषि वशिष्ठ के यज्ञ वेदी से उत्पन्न चार राजपूत वंशो प्रतिहार,परमार, चौहान,चालुक्य को माना गया है, जिन्होंने राजपूतों को नीव रखी थी। इसलिए प्रतिहारो को राजपूत ही माना जाता है।
भाजपा नेता ने बताया कि मिहिर भोज ने लगभग 50 वर्षो तक शासन किया।उसने समस्त मध्यप्रदेश को अपने अधीन कर लिया था।राष्ट्रकूट राजा कृष्ण द्वितीय को उसने पराजित किया था।भोजपुर नामक नगर को मिहिर भोज ने ही बसाया था तथा मुसलमानों को दक्षिण और पूर्व में बढ़ने से रोका था। उन्होंने कहा कि शहर का, स्टेशन का नाम बदलना तो समझ मे आता है किन्तु प्रतिहार राजा सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा पर सम्राट गुर्जर राजा लिखवाना समझ से परे है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि ऐसी गलती न करे, इतिहास माफ नही करेगा। उन्होंने कहा कि अधिकारियों के चक्कर मे कुल ,खानदान बदलने की गलती न करे ,भूचाल उठ जायेगा और सरकार के मेहनत पर पानी फिर जाएगा।
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