लाल बालू का खनन बिहार प्रांत में सोन नदी के किनारे होता है। सबसे बड़ा खनन क्षेत्र के कोईलवर में है जहां यूपी में लाल बालू को पहुंचाने का सबसे नजदीकी रास्ता बक्सर-भरौली गंगा पुल है। हालांकि यह पुल पिछले सात सालों से क्षतिग्रस्त होने के कारण भारी वाहनों के आवागमन के लिए प्रतिबंधित है। पुल के बंद होने के पूर्व औसतन प्रतिदिन 250-300 ट्रकें लाल बालू लेकर आती थीं। लेकिन भारी वाहनों के प्रतिबंधित होने के बाद छोटे वाहनों से लाल बालू की तस्करी शुरु हो गई। करीब 150 पिकअप व डीसीएम समेत अन्य छोटे वाहनों से लाल बालू की तस्करी बदस्तूर जारी है।
बालू माफिया गंगा पार बिहार के बक्सर में ट्रकों से लाल बालू डंप करते हैं और फिर पुलिस की मिलीभगत से छोटे वाहनों से यूपी के भरौली, उजियार, कोटवां, सोहांव आदि गांवों में डंप कर उंचे दरों पर ट्रकों से दूर दराज के इलाकों में भेजते हैं। बताया जाता है कि इस पुल के रास्ते बिहार की ओर से जहां लाल बालू, सरिया, चंदन की लकड़ी, इलेक्ट्रॉनिक सामान, रेडिमेड आदि लाए जाते हैं वहीं यूपी की ओर से पशु, खाद्यान्न, देशी व अंग्रेजी शराब, प्लास्टिक सामग्री आदि को बिहार भेजा जाता है। इससे हर महीने करीब 40 लाख रुपये से अधिक के राजस्व का भी नुकसान होता है।
इसके अलावा नाव व मोटर चालित नावों से भी तस्करी को अंजाम दिया जा रहा है। नरही क्षेत्र के कोरंटाडीह में तो इंजन चालित नाव से ही पशु तस्करी बड़े पैमाने पर की जाती है। आलम यह है लाल बालू व शराब तस्करी का धंधा गंगा किनारे के कोटवां नारायणपुर से लेकर बैरिया तक सड़क व जल मार्ग से किया जाता है।
जिम्मेदारी खनन विभाग की, फिर भी नजर रख रही पुलिस
लाल बालू के आवक पर नजर रखने की जिम्मेदारी खनन विभाग की है, हालांकि इसके बावजूद पुलिस पर इस नजर रखती है। शराब तस्करी रोकने के लिए सभी थाने को निर्देश दिया गया है और लगातार कार्रवाई भी हो रही है।
– संजय कुमार, अपर पुलिस अधीक्षक, बलिया।